जीवन के तमाम मुश्किलों को हल करने का एक छोटा सा प्रयास , अपने अनुभवों के साथ , प्रेम , जीवन , नौकरी और जीवन के विडंबनाओं के साथ सामंजस्य
रविवार, 16 जनवरी 2011
मैं
कितने अलहदा हैं मेरे
हालत और ज़ज्बात
दुसरो से ..
हालत मेरे कुछ करने नहीं देते
ज़ज्बात मेरे चुप रहने नहीं देते ..
इसी कशमकश में ...
चार लफ्जों को ..
अफ़साने का शक्ल दे कर
हो जाता हूँ फ़ारिग
यार दोस्त ऐसा लगता हैं की तुम कोई पागल हो
जवाब देंहटाएंTruly awsome....
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