सोमवार, 17 जनवरी 2011

मेरी तकदीर

तुम चाँद हो
एक ख्वाब हो
एक किनारा
और मेरी तकदीर में
हैं बस
चाँद को ताकना
ख्वाब को सहेजना
और कश्ती का डूब जाना

तुम बरखा की बुँदे
और बसन्त का बाग़
मैं जेठ की धरती
और सुखी घास ....    

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