तुम्हारी चितवन से कितनो का कलेजा कलके ,
कोई हाथ मलता है तो कोई रह जाता है आह भरके
तो ऐसा अनूप रूप चुप कैसे है ?
जिसके घुघंट के भीतर चाँद झलके ......
तुम्हारा घुघंट हटाया तो ...
लोग पूछने लगे कि ...
तुम्हारा क्या गुम गया है ?
मैंने कहा कि ..
मुझे लगा कि चाँद यही आ के छुप गया है ......