मंगलवार, 19 मार्च 2013

चरित्र

व्यक्ति और स्थान का चरित्र वक़्त के साथ बदलता रहता हैं , लेकिन वो अपने पुराने स्वाभाव में कभी वापस नहीं आते  ... लेकिन आत्मा का चरित्र वक़्त के साथ नहीं बदलता | जो सबन्ध आत्मा के स्तर पे कायम होते हैं वो भी जीवन भर नहीं बदलते चाहे वो किसी स्थान या व्यक्ति से हो ... और वक़्त के थपेड़ो में बिछड़े हुए जगह या व्यक्ति यादो में ही ठीक हैं क्योकि क्या पता दोबारा वहां  जाने या मिलने पर उनका व्यव्हार और आवरण पूर्णतया परिवर्तित हो गया हो ... और ऐसा अकसर होता भी हैं , की कभी आपका जिगरी शहर या दोस्त अब वैसे नहीं रहे जो कभी पहले थे , शायद परिवर्तन ही सत्य हैं । जीवन चलने का नाम हैं .. इस यात्रा में बहुत सरे पड़ाव और मंजिले आती हैं , कुछ मिल जाता हैं कुछ खो जाता हाँ लेकिन मानव मन अपने आतीत से ही सुख का आनद लेता हैं । वर्तमान के दुःख भविष्य में आनंद और अनुभव दोनों देते हैं । आज का धोखा  कल को आपका मार्गदर्शन करता हैं । और ठीक इसी तरह मनुष्य को  अपने सिद्धांतों और आदर्शों का अपनों के द्वारा ही मजाक उड़ाने पर जो दुःख होता हैं वो मृत्यु तुल्य ही होता हैं , मूर्खो की संगती और रिश्तेदारी हमेशा आपको कष्ट में ही डालती हैं ... और जब आप मूर्खो से ही घिरे हो जिनके लिए किताबे सिर्फ कुछ शब्दकोष हो और अनुभव,  शेखी तो पतन तो निश्चित ही हैं ।