बुधवार, 6 जनवरी 2010

ख़जाना

दुनिया के बाजार में बिकते है मिट्टी के भाव दिल
समझो जिसे रहनुमा वो होता है क़ातिल .........
कातिल के रहमो करम पे जिंदगी जो देनी है ,
करो मोहब्बत जब जिंदगी से दुश्मनी है
इश्क का दस्तूर बहुत पुराना है ,
मिलता यहाँ उम्र भर आंसुओ का ख़जाना है ..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें