सोमवार, 18 जनवरी 2010

चाँद


तुम्हारी चितवन से कितनो का कलेजा कलके ,
कोई हाथ मलता है तो कोई रह जाता है आह भरके 
तो ऐसा अनूप रूप चुप कैसे है ?
जिसके घुघंट के भीतर चाँद झलके ......
तुम्हारा घुघंट हटाया तो ...
लोग पूछने लगे कि ...
तुम्हारा क्या गुम गया है ? 
मैंने कहा  कि ..
मुझे लगा कि चाँद यही आ के छुप गया है ......


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