जीवन के तमाम मुश्किलों को हल करने का एक छोटा सा प्रयास , अपने अनुभवों के साथ , प्रेम , जीवन , नौकरी और जीवन के विडंबनाओं के साथ सामंजस्य
शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009
सफ़र
हर मुस्कराहट में खुशी शामिल नही होती , हर आंसू में गम शरीक नही होता, जिंदगी जीने वाले मुसाफिर इक दिन सफ़र ख़त्म हो जाता है पर क्या मंजिल आने से रास्ता ख़त्म हो जाता है..?
kya vijay tu to aane walla gaalib ban gaya hai bhai..
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