जीवन के तमाम मुश्किलों को हल करने का एक छोटा सा प्रयास , अपने अनुभवों के साथ , प्रेम , जीवन , नौकरी और जीवन के विडंबनाओं के साथ सामंजस्य
बुधवार, 24 जून 2009
दुआ
ख्वाबो के राही को हकीक़त में ज़मी नही मिलती बिस्तर तो मिल जाता है पर नीद नही मिलती यकीनन जाना है सबको एक दिन जहाँ से पर लोगो को अब खुदा के वास्ते दो घड़ी नही मिलती आरजू और इश्क का फ़साना बना ऐसा मेरे मौला की अब मांगे से भी मौत की तामिल नही मिलती
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें